उठो तो नानी पलक पावड़े बिछाकर तैयार मिलती है ....दर्शन दो उनको ...और फिर पड़े रहो रजाई में घुसकर ....
आहा!!!.... आनंदम.......आनंदम ......
खुद को भी और नानी को भी ......
और आपको?
-मायरा
(सर्दी की एक सुबह-2014)
उठो तो नानी पलक पावड़े बिछाकर तैयार मिलती है ....दर्शन दो उनको ...और फिर पड़े रहो रजाई में घुसकर ....
आहा!!!.... आनंदम.......आनंदम ......
खुद को भी और नानी को भी ......
और आपको?
-मायरा
(सर्दी की एक सुबह-2014)
कब इतना वक्त बीत गया पता नहीं चला, आपने इतना प्यार दिया कि बीमार होने पर सुई से भी नहीं डरी.... जल्दी वापस जो आना था , अब ठीक हूँ, बस मस्ती कम नहीं हुई ....
सीढ़ी चढ़ ली कल फिर से .....दर असल टारगेट बनाया है "नानी को दुबला करना"
चंद दिनों में ही फर्क नज़र आएगा ....
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.और जिस-जिस को दुबला होना हो ,मुझसे संपर्क कर दोस्ती कर सकते हैं.......
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धूप खाने का अपना ही मजा है कल ही ये सेल्फ़ी ली....नानी को पोज़ देना सीखा रही थी तब ....और अभी पता चला ये मेरे ब्लॉग की पचासवीं पोस्ट हो गई .....
थैंक्यू अनूप नानू ......
नानी को ब्लॉग बनाने का सजेशन देने के लिए ......
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.लव टू ऑल माय फैन्स .......
आज मैं एक सीक्रेट बात बताने वाली हूँ ....चुप से पढ़िए और विश्वास न हो तो आजमा कर देखिए...
अगर मुझे सुबह ज्यादा देर तक सोना हो तो जब उठने का समय हो तब आँख खोल चुपके से नानी को देखती हूँ,फिर आँख बंद कर रोने का नाटक करती हूँ .....नहीं समझे?
अरे! बस भेंsssss भेंssssss करके आवाज निकालती हूँ ......
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नानी देखती है ,और फट !से गोद ले लेती है ,मस्त कम्बल और गोद दोनों की गर्माहट मिलती है ,बस समझो हो गया अपना काम ......
चुप हो जाती हूँ,और गोदी में नींद कब वापस आ जाती है ,पता भी नहीं चलता
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अब देखो न मैं मस्त सो रही हूँ 8 बजने वाले है....
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ब्लॉग का काम भी नानी को ........
सन्डे की ठंडी सुबह का मजा .......नानी और मैं ......माँ भी .......
जब घुटनों पर चलने लगी तो घूमने का शौक लगा ,कभी माँ और कभी पापा के साथ लुकाछिपी करने में मजा आता ...फिर चलते चलते रास्ते में कुछ हाथ लग जाता और उन्हें मुँह में डालने की गंदी आदत लग गई ...और मैं बीमार पड़ गई....।. :-( अस्पताल जाना पड़ा ....और 5 दिन लग गए
जब नानी ने ये बात आपसे बताई तो आप सबने मेरे लिए भगवान् जी से प्रार्थना की ....मुझे ठीक करने के लिए और अब मैं ठीक हूँ
पता नहीं कैसे पर तबियत खराब हो गई ..... :-(
नानी स्कूल के वार्षिक उत्सव में व्यस्त थी ,और सोचा था बालदिवस पर जमकर मस्ती करेंगे हम दोनों ,पर सब गड़बड़ .....
डॉक्टर अंकल ने एडमिट करके ट्रीटमेंट किया ....आज थोड़ी ठीक हूँ .....पर ये हाथ की सुई के कारण खेल नहीं पा रही ठीक से ....फिर भी हँस तो सकती हूँ .....
आप सबने मेरे जल्दी ठीक होने के लिए भगवान जी से कहा तो सुनना तो पड़ी ही उनको .....
अब जल्दी से घर जाकर खेलना है ....ठीक से खाना खाऊँगी ,दूध पियूँगी और कभी अस्पताल नहीं आउंगी ,,,
आज नानी को पकड़ के खड़े होना सीख लिया ,सच्ची बात तो ये है कि नानी होती है पास तो डर बाबू छुप कर खड़े हो जाते हैं दूर ......
नानी उनकी पिटाई कर देती है ...... और मैं शेर बन जाती हूँ ......